"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


25 June 2015

The word 'Hindu' is a spider's web - 'हिंदू' शब्द मकड़जाल है

'हिंदू' शब्द की व्याख्या तो RSS की स्थापना से पहले भी उपलब्ध थी. लेकिन हिंदू धर्म की व्याख्याओं की झड़ी बाद में लगी. सुप्रीम कोर्ट ने भी 'हिंदू' शब्द की व्याख्या धर्म के रूप में नहीं की, शायद कोर्ट की कोई परिसीमा रही होगी, लेकिन उसने ''हिंदू'' को जीवन शैली कह कर एक फैलता-सिकुड़ता कन्फ्यूज़न पैदा कर दिया. जीवन शैली तो भारत के हर नागरिक की अलग हो सकती है और धर्म भी. उस सब को एक जीवन शैली के तौर पर परिभाषित कर देना केवल ब्राह्मण जजों के बाहुल्य वाला सुप्रीम कोर्ट ही कर सकता है. 

हमारे देश में नास्तिकों की लंबी परंपरा है और वे अच्छी गिनती में हैं. यदि वे जनगणना के फार्म में लिख भी दें कि वे किसी धर्म को नहीं मानते तो भी उनकी गिनती हिंदुओं में की जाएगी. यदि कोई यह लिख दे कि जाति व्यवस्था के कारण वह हिंदू धर्म को नहीं मानता और कि वह हिंदू नहीं है तब भी उसे हिंदुओं में ही गिना जाएगा और उसे जातियों के ढाँचे में फिट होना ही पड़ेगा. 'हिंदू' शब्द एक कानूनी, धार्मिक और सामाजिक मकड़जाल है.

जो जाति व्यवस्था से पीड़ित है वह 'हिंदू' शब्द से खीझता है और जिसे इससे लाभ की स्थिति मिलती है वह इसके गुण गाता है. रुचिकर यह है कि पिछले दिनों कुछ समूहों की हिंदू धर्म छोड़ कर धर्मपरिवर्तन कर लेने की धमकी कारगर साबित हुई है.

नवभारत टाइम्स का एक आलेख

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